छत्तीसगढ़

बस्तरिया राज मोर्चा की गूंज: आदिवासी अधिकारों की रक्षा और बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ सभा आयोजन।

बस्तरिया राज मोर्चा की गूंज: आदिवासी अधिकारों की रक्षा और बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ सभा आयोजन।

संवाददाता, बालक राम यादव, (संपादक)

सुकमा : (कोंटा) ब्लॉक में आज बस्तरिया राज मोर्चा द्वारा एक दिवसीय आमसभा और धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉमरेड मनीष कुंजाम ने की, जिन्होंने बस्तरिया राज मोर्चा के उद्देश्यों और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए संगठन की भूमिका को रेखांकित किया।

सभा के दौरान मंच पर रामा सोढ़ी, राजेश नाग, हड़मा मड़काम और अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे। रामा सोढ़ी ने अपनी मातृभाषा में आदिवासी समुदाय को संबोधित करते हुए बस्तरिया राज मोर्चा के महत्व और इससे मिलने वाले फायदों को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि यह संगठन आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए बना है। उन्होंने सभी आदिवासियों से अपील की कि वे संगठित होकर इस लड़ाई को मजबूत करें।

कॉमरेड मनीष कुंजाम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बस्तर भारत के संविधान में पांचवीं अनुसूची के तहत संरक्षित क्षेत्र है, लेकिन आज आदिवासियों के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद भी आदिवासियों को उनका हक नहीं मिला। बाहरी लोगों द्वारा यहां के संसाधनों और संस्कृति पर कब्जा कर लिया गया है, जिससे आदिवासियों की आजीविका और अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। मनीष कुंजाम ने यह भी कहा कि बाहरी लोगों को बस्तर से हटाना और क्षेत्र को आदिवासियों के लिए सुरक्षित बनाना बेहद जरूरी है।

सभा में यह भी मांग उठाई गई कि जैसे मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए हुआ था, उसी तरह अब बस्तर को अलग राज्य बनाने की जरूरत है। मनीष कुंजाम ने कहा कि यह समय है जब आदिवासी समुदाय अपने अधिकारों, संस्कृति और संसाधनों की रक्षा के लिए एकजुट होकर संघर्ष करे।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। मंच और आयोजन स्थल पर रमणा राव, हड़मा मड़काम, इरफान खान, सोढ़ी कोसा, नसीद पाशा, सोढ़ी राजू, लीना ओयामी, नागराजू और रामबाबू जैसे प्रमुख नाम उपस्थित रहे। सभा में उपस्थित जनता ने बस्तरिया राज मोर्चा के उद्देश्यों के प्रति अपना पूरा समर्थन जताया और संघर्ष को और तेज करने का संकल्प लिया।

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