बड़ी विडंबना : पोटाकेबिन के छात्राओं को झाड़ू पकड़ा कर साफ़ सफाई कराया जाता है, बच्चे बेहतर भविष्य झाड़ू के साथ गढ़ रहे।

पोटाकेबिन के छात्राओं को झाड़ू पकड़ा कर साफ़ सफाई कराया जाता है, बच्चे बेहतर भविष्य झाड़ू के साथ गढ़ रहे।
संवाददाता, बालक राम यादव
सुकमा : जिले में आदिवासी बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से शुरू किए गए पोटाकेबिन आश्रम मुरतोंडा आज खुद असंवेदनशील व्यवस्था और कमजोर प्रबंधन की जकड़ में फंसे हुए हैं।
मुरतोंडा पोटाकेबिन आश्रम में छात्राओं को झाड़ू पकड़ा कर भविष्य गढ रहे हैं।
आपको बता दें कि अधिक्षिका की लापरवाही के कारण चपरासियों को पोटाकेबिन के आंगन को साफ़ सफाई कराने के बजाय छात्राओं को झाड़ू पकड़ा कर साफ़ सफाई कराया जाता है, आज़ बस्तर समय समाचार उन बच्चों को झाड़ू पकड़ कर साफ सफाई करते हुए कैमरे में कैद हुए है, दरअसल सुत्रो के जानकारी के अनुसार बच्चों को कई ऐसे कार्य कराने की बात सामने निकलकर आई कि बच्चों को गोबर उठा कर लाना बिजली गुल होने से पानी ढुलाई करना आदि जैसे कार्य कराया जाता है, लेकिन चपरासियों को नियुक्त किया गया है,किस कार्य के लिए नियुक्त किया है।
पोटाकेबिन में भविष्य गढ़ रहे बच्चों के लिए चुनौतियाँ अनेक, समाधान की जरूरत अधिक्षिका की अनदेखी की लापरवाही के कारण बच्चों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है,इस तरह का काम कराना निंदनीय है।
बच्चों के भविष्य के साथ खेलवाड़, सवाल खड़े हो रही।
पोटाकेबिन मुरतोंडा में छात्राओं से सफाई का काम करवाया जा रहा है, तो यह एक गंभीर मुद्दा है और इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. इस मामले को पोटाकेबिन प्रशासन, शिक्षा विभाग, या अन्य संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाया जाना चाहिए, ताकि इस पर उचित कार्रवाई की जा सके।
बड़ी इरादे छोटी व्यवस्थाएं।
पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों की देखभाल, भोजन, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण दायित्व भी इन्हीं अनुदेशकों के कंधों पर हैं। यह स्थिति न सिर्फ बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए हानिकारक है, बल्कि उनके समग्र जीवन विकास को भी प्रभावित कर रही है।
बच्चे अतिसंवेदनशील क्षेत्र से भविष्य गढ नहीं रहे झाड़ू पकडकर सफाई गढ़ रहे।
पोटाकेबिन सिर्फ एक योजना नहीं, एक सपना है। उन बच्चों का सपना जो अपने जंगलों से निकलकर एक बेहतर कल की ओर देख रहे हैं। इस व्यवस्था को दुरुस्त कर उनके सपनों को साकार करना है, लेकिन जिम्मेदार के लापरवाही के कारण छात्राएं बेहतर भविष्य नहीं बल्कि बेहतर झाड़ू पकड़ाया जा रहा है।
खबर प्रसारित के बाद जिम्मेदार अधिक्षिका पर पोटाकेबिन प्रबंधन प्रशासन कार्रवाई करते हैं या यूं ही लिपापोती कर मामला को ठंडे बस्ते में समेट लिया जाएगा।