छत्तीसगढ़

वन विभाग की ओर से निःशुल्क नीलगिरी पौधा किसानो को वितरण की जा रही।

वन विभाग की ओर से निःशुल्क नीलगिरी पौधा किसानो को वितरण की जा रही।

वन विभाग की वृक्ष मित्र योजना में सुकमा जिले को 7.40 लाख पौधरोपण का लक्ष्य।अब तक 4.33 लाख क्लोनल नीलगिरी रोपे गए।

संवाददाता, बालक राम यादव 

सुकमा : जिले के वन विभाग की महत्वाकांक्षी योजना किसान वृक्ष मित्र योजना के अंतर्गत इस वर्ष सुकमा जिले में कुल 7,40,484 पौधों के रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें से 7,39,484 पौधे क्लोनल नीलगिरी (यूकेलिप्टस) प्रजाति के हैं, जिन्हें किसानों द्वारा अपनी निजी भूमि पर लगाया जाना है। योजना के तहत अब तक लगभग 4.33 लाख क्लोनल नीलगिरी पौधे किसानों द्वारा लगाए जा चुके हैं। विगत कुछ दिनों से जिले में हुई अच्छी वर्षा के चलते रोपण कार्य में तेजी आई है और कृषकों की भागीदारी में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है।

किसान वृक्ष मित्र योजना छत्तीसगढ़ शासन के वन विभाग द्वारा संचालित एक प्रमुख एग्रो-फॉरेस्ट्री योजना है, जिसका उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि करना, खेतों की अनुपयोगी भूमि का सदुपयोग करना, पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना है। जिले के प्रभारी मंत्री एवं वनमंत्री केदार कश्यप के नेतृत्व में इस योजना के अंतर्गत किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले क्लोनल नीलगिरी के पौधे नि:शुल्क प्रदान किए जा रहे हैं। विशेष रूप से सुकमा जिले में इन पौधों की आपूर्ति आईटीसी भद्राचलम द्वारा की जा रही है, जो इस क्षेत्र में नीलगिरी की विश्वसनीय क्लोनल किस्में तैयार करता है।

इसके अतिरिक्त, गड्ढा खुदाई, पौधरोपण तकनीक, देखरेख तथा अन्य तकनीकी मार्गदर्शन भी वन विभाग द्वारा किसानों को प्रदान किया जा रहा है। क्लोनल नीलगिरी के पौधे शीघ्र वृद्धि करने वाले होते हैं तथा 4 से 5 वर्षों में परिपक्व होकर अच्छी गुणवत्ता की लकड़ी प्रदान करते हैं, जिसे उद्योगों को बेचकर किसान अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार यह योजना खेती के साथ-साथ वृक्षारोपण को बढ़ावा देकर किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करती है।

वन मंडलाधिकारी सुकमा अक्षय भोंसले ने जिले के समस्त किसानों से अपील की है कि वे अधिक से अधिक संख्या में इस लाभकारी योजना से जुड़ें और अपने खाली पड़ी जमीन और खेतों में वृक्षारोपण करें। उन्होंने कहा कि यह योजना न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक है, बल्कि पर्यावरण के संरक्षण में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। इच्छुक किसान अपने क्षेत्रीय वन परिक्षेत्र कार्यालय अथवा स्थानीय वन प्रबंधन समिति से संपर्क कर योजना में पंजीयन कर पौधे प्राप्त कर सकते हैं।

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