क्राइमछत्तीसगढ़

बीजापुर कन्या छात्रावास वायरल विडियो मामला: कोच का दबाव और पत्रकारों पर FIR , प्रशासन की भूमिका पर सवाल।

बीजापुर कन्या छात्रावास वायरल विडियो मामला: कोच का दबाव और पत्रकारों पर FIR , प्रशासन की भूमिका पर सवाल।

बीजापुर : छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के प्री-मैट्रिक कन्या छात्रावास में रात को हुई एक घटना ने जिले में तूफान खड़ा कर दिया है। 3 जुलाई की रात लगभग 12 बजे दो छात्राएं एक स्कूटी पर किसी नौजवान के साथ छात्रावास पहुंचीं, जिसका वीडियो वायरल होने के बाद मामला सुर्खियों में आ गया। हालांकि, इसके पीछे की कहानी और भी चौंकाने वाली है। बात छात्राओं को फिल्म दिखाने की थी आपको बता दे कि सप्ताह के अंदर ही प्रशासनिक अनुमति लेकर उन छात्राओं सहित सभी छात्राओं को फिल्म दिखाया गया था लेकिन ऐसी क्या बात हुई कि केवल 2 छात्राओं को फिर से फिल्म दिखाने के लिए प्रशासनिक अनुमति कोच के लिए जरुरी नही था और अधिक्षिका को अपनी जिम्मेदारी कहकर जबरन रात 9 बजे छात्राओं को कोच द्वारा ले जाया गया।

छात्राओं को रात में बुलाने वाला कोच क्यों बचना चाहता है? आईए जानने की कोशिश करते हैं।

खबरों के मुताबिक, छात्राओं को उस रात
खेल अकादमी के कोच द्वारा रात 9 बजे बुलाया गया था।

जिसके लिए उसने केवल मौखिक अनुमति नही ली थी।फोन पर कहकर जबरन छात्राओं को ले जाने की बात पर जब छात्रावास की अधीक्षिका ने इसका विरोध किया, तो कोच ने कहा – छात्राओं की जिम्मेदारी मेरी है, कुछ भी होता है तो आपको आंच नहीं आएगी।

मामला मीडिया में आने के बाद प्रशासन ने जांच शुरू की, लेकिन जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए अधीक्षिका को हटा दिया गया जबकि कोच पर कोई कार्रवाई आज तक नहीं हुई। जांच के दबाव में कोच ने छात्राओं को मीडिया के सामने प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए उकसाया होगा, जिससे साफ जाहिर होता है कि वह अपने कृत्य को छुपाने की कोशिश कर रहा है।

पत्रकारों पर FIR : क्या सच्चाई दबाने की कोशिश तो नही ?

जिन पत्रकारों ने इस मामले को उजागर किया, उस खबर को अब “फेक न्यूज” बताकर कोच द्वारा FIR दर्ज कराने की साजिश की गई है। हैरानी की बात यह है कि छात्राओं के परिजनों ने बताया कि उन्हें प्रेस वार्ता की कोई जानकारी नहीं दी गई, जबकि छात्राओं ने दावा किया कि परिजनों को सूचित किया गया था।

बडा सवाल 

आपको बता दें कि बड़ा सवाल है क्या खेल एकेडमी कोंच क्यों रात 9 बजे फिल्म दिखाने दो छात्रों को ही दिखाई जाती है, और कोच ही अपनी ग़लती को छुपाने के लिए बीजापुर थाना में पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर करता है।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि जिला प्रशासन कोच के खिलाफ कार्रवाई करती तो आदिवासी छात्राओं को ढाल बनाकर खबरनवीशों को निशाना नही बनाया जाता?

क्या यह भयभीत कोच की बौखलाहट है या फिर प्रशासन की मिलीभगत?

यह मामला सिर्फ छात्राओं की सुरक्षा का नहीं, बल्कि सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार और दबाव की राजनीति का भी है। प्रशासन ने समय रहते कोच के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की, तो यह छत्तीसगढ़ की बेटियों के साथ हो रहे अन्याय को बढ़ावा देने जैसा होगा।
यह खबर पूरी तरह से तथ्यों और गवाहों के बयानों पर आधारित है। प्रशासन से अपेक्षा है कि वह पारदर्शी तरीके से जांच करे और दोषियों को सजा दिलाए।

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