क्राइमछत्तीसगढ़

संपादकीय लेख : राहुल गांधी नाव उवाच,चित्त की दृढ़ता बरते संकट की बदरी नज़र

संपादकीय लेख : राहुल गांधी नाव उवाच,चित्त की दृढ़ता बरते संकट की बदरी नज़र

छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी
मंत्री व मौजूदा कांग्रेस विधायक कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद सियासी खलबली मची हुई है। चर्चा है कि जांच की अटकलें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुंच सकती है। ईडी पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को भी पूछताछ के लिए समन भेज सकती है।

नोटशीट के आधार पर शराब घोटाला पूर्व मुख्यमंत्री पर भी मंडरा रहा

सूत्रों के अनुसार जिस नोटशीट के आधार पर शराब घोटाले का षड्यंत्र रचा गया, उसमें कवासी लखमा समेत भूपेश बघेल के भी हस्ताक्षर हैं। ईडी की गिरफ्त में मौजूद लखमा से 2161( दो हजार एक सौ इक्सट करोड़ रुपये) के इस घोटाले में बघेल की भूमिका को लेकर भी सवाल-जवाब किए जा रहे हैं। जांच में सामने आया है कि लखमा को प्रति माह शराब सिंडिकेट की ओर से दो करोड़ रुपयों के कमीशन का भुगतान किया जाता था।

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार में भी हुआ था शराब घोटाला।

ऐसा ही मामला दिल्ली में
अरविंद केजरीवाल की सरकार में भी आ चुका है। वहां भी आबकारी मंत्री के बाद मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हुई थी। ऐसे में यहां भी ईडी की कार्रवाई वही तस्वीर दोहराने की तैयारी में है। केंद्रीय एजेंसी के सूत्रों के अनुसार ईडी की टीम में दिल्ली से आए अधिकारियों को शामिल किया गया है। माना जा रहा है कि कोंटा विधायक कवासी के बाद अन्य बड़े कांग्रेसी नेताओं को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।

पांच बार विधायक एक बार मंत्री रहे कवासी लखमा

सुकमा के कोंटा से छ: बार के कांग्रेस विधायक पूर्व
आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर ईडी का आरोप है कि उन्हें तीन साल में 72 करोड़ रुपये मिले हैं। लखमा की कहानी फिल्मी बनती जा रही है।
शुरुआती जीवन में लखमा आंध्र प्रदेश से मवेशी लाकर बेचने का काम करते थे। स्थानीय गोंडी – हल्बी बोली में सीधी और बेबाकी से बात करने की कला ने उन्हें बिहार के लालू यादव जैसी
लोकप्रियता दिला दी। वह अपने बयान को लेकर सुर्खियों में रहे। बेबाकी से बात हेमामालिनी के गाल जैसी चमकती सड़क की हो या लखमा जीतेगा तो मोदी मरेगा, या स्कूल के बच्चों से कही बात नेता बनना है तो एसपी- सरपंच का कालर पकड़ो, उनके बयान हमेशा चर्चा में रहे।

राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान, नफरत में बदलती तस्वीर

बेबाकी से राहुल गांधी के चहेते कहे जाने वाले लखमा राहुल गांधी का मार्ग कही ना कही उलझन में डाल रही है। राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान नफरत में बदलती हुई नजर आ रही है।
राहुल की मोहब्बत की दुकान दिग्गज कांग्रेसियों के लिए संकट मंडरा रही है।
राहुल जी थोड़ी बयान पर संयम धैर्य बर्ताव करें।

एक बार भी कोंटा विधानसभा चुनाव में नहीं हारे

1993 में पंचायती राज लागू हुआ तो लखमा ने पंच का चुनाव लड़ा और बाद में सरपंच का चुनाव भी जीत गए।
तब कोंटा से सीपीआइ के मनीष कुंजाम विधायक हुआ करते थे। कांग्रेस को मजबूत प्रत्याशी की तलाश थी।
1998 से 2025 के बीच छ: बार चुनाव हो चुके हैं। बताया जाता है कि भोपाल दिग्विजय ,कमल नाथ से मिलने के बाद लखमा को चुनाव में उतारा गया,1998 से 2025 के बीच छ: बार चुनाव हो चुके हैं, पर लखमा कभी हारे नहीं।

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