संगठनात्मक अनुभव निर्विवाद छवि के कारण पुनः मिली धनीराम बारसे को जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी।

संगठनात्मक अनुभव निर्विवाद छवि के कारण पुनः मिली धनीराम बारसे को जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी।
संवाददाता : बालक राम यादव
सुकमा : भारतीय जनता पार्टी सुकमा में फिर से एक बार भाजपा के जिले की कमान धनीराम बारसे को मिली। संगठनात्मक अनुभव और सभी कार्यकर्ता को साथ लेकर चलने की छवि के कारण धनीराम बारसे के नाम पर पुनः मोहर लगी। कई कयासों के साथ ही प्रदेश संगठन ने धनीराम बारसे के नाम पर मोहर लगा दी। जैसे ही उनके नाम की घोषणा हुई भारतीय जनता पार्टी के सभी कार्यकर्ताओ के द्वारा निर्वाचित जिला अध्यक्ष धनीराम बारसे को पुनः जिम्मेदारी मिलने पर बधाई का ताता लग गया। लगभग तीन दशक की लंबी राजनीति पारी कई चुनाव में सक्रिय भागीदारी दो बार विधानसभा चुनाव में सिर्फ कुछ मतों से पीछे रहने वाले धनीराम बारसे अपनी हार से कभी निराश नहीं हुए ना ही हार का ठीकरा किसी पर फोडा। संगठन ने जब जो जिम्मेदारी दी खुशी से उस जिम्मेदारी का निर्वाह किया। और लगातार सुकमा की राजनीति में सक्रिय रहे। विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के जिला अध्यक्ष के रूप में काम करते हुए कई कार्यकर्ताओं की नाराजगी पर भी मुस्कुरा के कार्यकर्ताओं के साथ खड़ा रहना किसी भी परिस्थिति का सामना मुस्कुरा कर करना धनीराम बारसे की इसी प्रतिभा के सुकमा जिला के कार्यकर्ता कायल है। विपक्ष में पार्टी को मजबूती देने के लिए उनके निरंतर प्रयास से भारतीय जनता पार्टी कोंटा विधानसभा में महज कुछ वोटो से पीछे रह गईं पर उसके बाद लोकसभा चुनाव में स्थानीय विधायक के खड़े होने के बावजूद 3800 वोटो से भाजपा को बढ़त दिलाया। प्राथमिक सदस्यता अभियान में भी 25000 से भी अधिक सदस्य बनाकर उनके नेतृत्व में सुकमा जिला में नया रिकॉर्ड कायम हुवा।लगातार पंचायत चुनाव को देखते हुए अति संवेदनशील क्षेत्रों में पहुंचकर कार्यक्रम करना सुकमा जैसे घोर नक्सली क्षेत्र में किसी चुनौती से कम नहीं हैँ। और तो और सुकमा जिले में विपक्ष के समय सिर्फ एक जिला पंचायत सदस्य भाजपा ने जीता जो उनके परिवार की ही सदस्य है।आदिवासी नेता के रूप में अपने गृह ग्राम वाले क्षेत्र झापरा बुडदी वा आसपास के इलाकों में भारतीय जनता पार्टी को हमेशा बढ़त दिलाते हुवे अपने नेतृत्व का लोहा मनवाते रहे हैँ।आदिवासी नेता के रूप में हर वर्ग के लोगों के साथ अच्छा तालमेल निर्विवाद छवि कार्यकर्ताओं के सुख-दुख में खड़े रहने के गुण के कारण ही पुनः धनीराम बारसे की ताजपोसी हुई।
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