शिक्षा की लचर व्यवस्था : फटे कपड़े पहन छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे टाटपट्टी की नशीब नहीं अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा बच्चे को झेलना पड़ रहा।

फटे कपड़े पहन छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे टाटपट्टी की नशीब नहीं अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा बच्चे को झेलना पड़ रहा।
टाट पट्टी नहीं होने से बच्चे जमीन पर बैठकर के लिए मजबूर, छात्रों का गणवेश फटे है।
संवाददाता, बालक राम यादव
सुकमा : जिले की कोंटा ब्लाक अंतर्गत बालक आश्रम मरईगुड़ा वन और बालक आश्रम गंगरेल का स्कूल संचालक एक ही परिसर में होता है। छात्रों को बैठने के लिए टाट पट्टी की व्यवस्था नहीं है, फटी हुई टाट पट्टी में बच्चे बैठ रहे हैं, टाट पट्टी नहीं होने से बच्चे जमीन पर बैठकर के लिए मजबूर है।
अक्सर देखने को मिलता है कि जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा है जो छात्रों को भुगतना पड़ता है, छात्र इस ठंडी के मौसम में खाली जमीन पर बैठकर अध्यापन कार्य कर रहे हैं। छात्रों ने बताया कि बैठने के लिए जो टाट पट्टी और दरी है वह फट चुका है इसीलिए बाकी बच्चे जमीन पर बैठ रहे हैं। कक्षा पांचवी के बच्चों के लिए दरी की व्यवस्था है, बड़े बच्चे बैठ रहे हैं और छोटे बच्चों के पास दरी फटी हुई है, जिसमें से आधे बच्चे ही बैठ पाते हैं आधे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं।
दोनों आश्रम शालाओं के बच्चे की संयुक्त कक्षा तीसरी में देखने को मिला कि कई बच्चों के पास गणेश की स्थिति भी बुरी है, कई बच्चों के गणेश के बटन टूटे हुए हैं तो एक बच्चे की शर्त भी फट चुका है, लेकिन उसके बाद भी जिम्मेदार आश्रम अधीक्षक इन बच्चों को गणवेश देना भी जरूरी नहीं समझते, केवल खाना पूर्ति कर बच्चों को आश्रम में रखा गया है। जिसकी वजह से शासन द्वारा मिलने वाली योजना से भी बच्चे को लाभ नहीं मिल रहा है आखिर हर साल पैसे पानी की तरह बाहर जाता है और बच्चे फटे पुराने गणवेश पहनने के लिए मजबूर है।
आरो लगने के बाद भी बच्चों को नहीं मिला शुद्ध पेयजल।
शान द्वारा लख रुपए आश्रम छात्रावास में आरो का प्लांट स्थापित किया गया है लेकिन उसके बाद भी तारों को लगाने में महज संबंधित एजेंसी के द्वारा खानापूर्ति कर दिया गया है एक से दो दिन आरो बड़ी मुश्किल से चला उसके बाद आरो का बंद पड़ा है और बच्चों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है वह डायरेक्ट बोरवेल का पानी पीने के लिए मजबूर है, आरो का मरम्मत करने के बाद भी ठीक नहीं हो पाया और यह करीब साल भर से बंद पड़ा हुआ है।
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